गाजियाबाद। गाजियाबाद नगर निगम ने अब सड़क, सीवर, स्ट्रीट लाइट, पानी जैसी सुविधा लेने के बाद भी हाउस टैक्स जमा नहीं करने वालों से हाउस टैक्स वसूलने के लिए अब बड़े बकाएदारों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इसके लिए अब जोन वाइज बकायेदारों की नई सूची तैयार की जा रही है। जिन करदाताओं पर 5 लाख से ज्यादा हाउस टैक्स बकाया है, उन सभी बकायेदारों को अब नोटिस जारी किए जाएंगे। इसके बाद इन बकायेदारों के सीवर और पानी के कनेक्शन काटे जाएंगे। नगर निगम गृह कर वसूलने के लिए लोगों को नोटिस भेज रही है। नगर निगम अभी तक करदाताओं से वसूली करता था, लेकिन इस बार दो लाख करदाता और बढ़ गए हैं।
  हालांकि, लोगों को हैरानी इस बात की हो रही है कि उन्हें एक लाख से पांच लाख रुपये तक हाउस टैक्स के नोटिस मिल रहे हैं। दूसरी तरफ नगर निगम का साफ कहना है कि बकाएदारों ने कई बार नोटिस के बाद भी टैक्स जमा नहीं कराया है। इसलिए अब उनकी संपत्तियां सील की जाएंगी।
  शहर में 100 वार्ड हैं और कुछ साल पहले तक करीब 3.86 लाख करदाता थे, लेकिन बड़ी संख्या में दुकान, मकान और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को भी अब सर्वे के बाद हाउस टैक्स के दायरे में लाया गया है। इस तरह शहर में अब 5.86 लख से ज्यादा करदाता हो गए हैं। नए करदातों को अब निगम की तरफ से नोटिस भेजा जा रहा है। ऐसे में जिन लोगों को नोटिस मिला है उनकी शिकायत है कि मकान और दुकान के क्षेत्र के हिसाब से ज्यादा बिल भेजा गया है। इन लोगों को आरोप है कि नगर निगम ने किस आधार पर बिल भेजा है, इसका पता नहीं चल पा रहा है। ऐसे में परेशान लोग अब निगम का चक्कर काट रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि अधिकारी शिकायत लेकर रख लेते हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
  गाजियाबाद के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी संजीव सिन्हा कहते हैं कि जिन लोगों को लगता है कि उनको ज्यादा बिल का नोटिस मिला है, वे लोग शिकायती पत्र दे कर नए सिरे से बिल का निर्धारण करा सकते हैं। इसके लिए उन लोगों को अपने दुकान, मकान या अन्य प्रतिष्ठान का रजिस्ट्री की कॉपी देनी होगी। कविनगर, वसुंधरा, शहर और विजय नगर जोन की तरफ से वसूली के लिए करदाताओं नोटिस जारी किए जा रहे हैं।
  नगर निगम ने हाल ही में पूरे शहर के वार्डों में खर्च की गई रकम और मिलने वाले हाउस टैक्स व बकाया का आकलन कराने के लिए सर्वे कराया था। सर्वे के बाद नगर निगम में 5.60 लाख नए भवनों को हाउस टैक्स के दायरे में शामिल किया गया। इस दौरान 1,13,755 ऐसे भवन मालिकों की पहचान की गई, जो कभी टैक्स नहीं जमा कराए। इन भवनों पर निगम का करीब 136 करोड़ हाउस टैक्स बकाया है।