भोपाल : हर क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका का निरंतर विस्तार हो रहा है। आज देश "सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास'' के मंत्र पर कार्य कर रहा है। देश की अर्थ-व्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए महिलाओं के प्रति बनी पुरानी मानसिकता को बदलना जरूरी है। आज ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जहाँ महिलाओं ने अपने हुनर का परिचय नहीं दिया है। महिला आयोग की भूमिका भी इसमें महत्वपूर्ण है।

डॉ. रुचि घोष विभागाध्यक्ष समाज-शास्त्र, बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय ने उक्त विचार मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग के 24वें स्थापना दिवस पर आयोग के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किये।

अपर संचालक महिला-बाल विकास श्रीमती राजपाल कौर ने कहा कि महिलाएँ अब अबला नही हैं। वे कमजोर नहीं सहनशील होती हैं। महिलाओं में बुद्धि, शक्ति और पराक्रम की कोई कमी नहीं है। बस उन्हें मौके मिलना चाहिए। जिन्हें मौका मिला उन्होंने हर क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है।

कार्यक्रम में सायबर एक्सपर्ट श्री अक्षय वाजपेयी ने बताया कि वर्तमान में सायबर अपराध की सबसे ज्यादा शिकार महिलाएँ हो रही हैं। इसका मुख्य कारण है कि यह अपराध अधिकतम परिचितों द्वारा किया जाता है। किसी भी एप्लीकेशन को डाउनलोड करने के बाद हम उसके सिक्योरिटी फीचर्स से अवगत नहीं होते हैं। उन्होंने बताया कि सोशल इंजीनियरिंग से सायबर क्राइम बढ़ता है। अपनी व्यक्तिगत जानकारी जब हम अपने परिचितों, दोस्तों से साझा करते हैं, उसे सोशल इंजीनियरिंग कहा जाता है। किसी भी व्यक्ति की पर्सनल आईडी सोशल इंजीनियरिंग से ही क्रेक होती है।

राज्य महिला आयोग के सचिव श्री शिवकुमार शुक्ला ने बताया कि आयोग का गठन प्रदेश में महिलाओं को सशक्त बनाने, उनके हितों की रक्षा एवं उनका संरक्षण, विकास के समान अवसर दिलाने तथा महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों एवं अपराधों पर त्वरित कार्यवाही करने के लिए किया गया है।

आयोग के स्थापना दिवस पर पर्वतारोही सुश्री मेघा परमार, प्रख्यात भरतनाट्यम नृतिका डॉ. लता सिंह मुंशी, पैरा सायक्लिस्ट सुश्री तान्या डागा, चित्रकार डॉ. रेखा भटनागर सहित विभिन्न क्षेत्रों के उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया गया।