अहमदाबाद । भाजपा को गुजरात की 40 से अधिक विधानसभा सीटों में बगावत की स्थिति से जूझना पड़ रहा है। भाजपा के पूर्व विधायक स्थानीय नेताओं ने अधिकृत उम्मीदवारों के विरोध में बिगुल बजा दिया है। गुजरात के नेता बगावतियों को मनाने में असफल साबित हुए। जिसके कारण केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को गुजरात पहुंचकर बागियों को मनाना पड़ रहा है। 
गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए जिन भाजपा नेताओं ने बगावत की है। उन्होंने अपने मोबाइल फोन बंद कर दिए हैं। वह मिल भी नहीं रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह उनके फॉर्म भरने और वापिस लेने की प्रक्रिया के बीच उनसे खुद मिलने अथवा बात करने की कोशिश कर रहे हैं। 
भाजपा में 2005 के बाद, बगावती सुर देखने को मिले हैं। गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी भी आश्चर्यचकित हैं। टिकट वितरण को लेकर पहली बार इतनी बड़ी नाराजी भाजपा में देखने को मिली है। बागियों को साम दाम दंड भेद समझाने की कोशिश हो रही है। 
गुजरात में इन दिनों ईडी और आयकर के छापों की बड़ी गूंज हो रही है। बागियों का यह मानना है कि यदि उन्होंने नाम वापस नहीं लिए, तो उनके यहां पर भी ईडी और आयकर के छापे पड़ सकते हैं। राजनीतिक भविष्य को देखते हुए, अब बागी भी आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में बने हुए हैं। जिसके कारण भाजपा नेतृत्व को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। गुजरात के भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटील और केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडवीया भी बागियों को रोक नहीं पा रहे थे। 
गुजरात विधानसभा के चुनाव में विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता काफी आक्रोश में दिख रहे हैं। नवसारी शहर लगभग एक दर्जन विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं ने चुनाव के बहिष्कार करने की धमकी देते हुए, अपनी बरसों पुरानी मांगों को पूरा ना होने पर खुलेआम नाराजगी व्यक्त की जा रही है। महंगाई बेरोजगारी का बहुत बड़ा मुद्दा बन गया है। स्कूलों को बंद किए जाने का भी मुद्दा अब आम आदमी की जबान पर है। 
आम आदमी पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार इसुदान गढवी को लेकर चल रहा असमंजस खत्म हो गया है। इसुदान गढ़वी देवभूमि द्वारका जिले की खंभालिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने यह घोषणा की है। आम आदमी पार्टी गुजरात में अभी तक 182 में से 175 उम्मीदवारों के नाम घोषित कर चुकी है।