भोपाल । मध्य प्रदेश के नवकरणीय ऊर्जा विभाग द्वारा 2017 में 12 लाख रुपए मूल्य की 6 कारें 72 लाख रुपए में खरीदी थी। कुछ दिन सड़कों पर यह कारें चली। बैटरी कमजोर होने के कारण अधिकारियों ने उपयोग में लाना बंद कर दिया। पिछले कई वर्षों से यह गाड़ियां कबाड़ में खड़ी हुई हैं। आम जनता के टैक्स की कमाई से 72 लाख रुपए खर्च कर दिए गए। उसके बाद सरकार इन कारों को कबाड़ में खड़ी कर भूल गई। 
 ऊर्जा विभाग का कहना है, गाड़ियों की बैटरी खराब है। इनका उपयोग संभव नहीं है। इसके लिए किसकी जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। इस बारे में सरकार और उसके अधिकारी मौन है। अधिकारी इन गाड़ियों में सफर नहीं करना चाहते हैं। अधिकारियों ने किराए पर टैक्सी लगा ली है। लाखों रुपए महीने का भुगतान किराए पर ली गई गाड़ियों का किया जा रहा है। 
सरकारी विभाग में बैठे अधिकारी कैसे जनता के टेक्स की होली खेलते हैं। यह इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। पेट्रोल खर्च कम करने के नाम पर बैटरी से चलित गाड़ियां खरीदी गई। पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए बैटरी चलित कारों को बढ़ावा देना था। यह सब काम तो नहीं हुआ। 72 लाख की गाड़ियां कबाड़ में जरूर खड़ी हो गई। इस तरह के निर्णय लेने वाले अधिकारियों और मंत्रियों को सरकार कहा जाता है।