भोपाल । प्रोफेशनल कोर्स के विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति को लेकर शासन ने नियम बदल दिए हैंं। अब दो कोर्स के बीच दो साल से अधिक अंतर होने पर विद्यार्थी छात्रवृत्ति के लिए पात्र नहीं होगा। इसके चलते विद्यार्थियों की परेशानी बढ़ गई है।
एमबीए एमसीए जैसे व्यावसायिक कोर्स करने वाले विद्यार्थियों को शासन ने इस बार झटका दिया है। नए नियमों के मुताबिक स्नातकोत्तर और व्यावसायिक कोर्स में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों ने स्नातक कब व किस सत्र में पूरा किया है यह देखा जाएगा। यदि दोनों कोर्स में दो साल का अधिक अंतर रहेगा तो विद्यार्थी छात्रवृत्ति के लिए आवेदन नहीं कर सकेगा।
अधिकारियों का मानना है कि एमबीए और एमसीए करने वाले अधिकांश छात्र स्नातक होने के बाद ड्राप लेते हैं जो इस अवधि में नौकरी कर आगे की पढ़ाई के लिए पैसा जोड़ते हैं। ऐसी स्थिति में विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति की आवश्यकता नहीं रहती है। मगर स्नातक पूरा करते ही विद्यार्थी इन कोर्स में दाखिला लेता है तो छात्रवृत्ति मिलेगी। यह नियम एसटी-एससी और ओबीसी वाले विद्यार्थियों पर लागू होगा।
कालेजों पर असर
व्यावसायिक कोर्स करने वालों की छात्रवृत्ति में नियम बदले हैं। इसका असर उन कालेजों पर पड़ेगा जहां छात्रवृत्ति से अधिक प्रवेश होते हैं। एमबीए और एमसीए संचालित वालों की संख्या अधिक है। सितंबर में कालेजों ने नियमों के विरोध में बैठक बुलाई थी। उसके बाद शासन को पत्र भी लिखा था लेकिन अभी तक उस दिशा में कोई फैसला नहीं लिया है।
75 प्रतिशत उपस्थित जरूरी
आरक्षित वर्ग वाले विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति की राशि तभी मिलेगी जब क्लास में 75 प्रतिशत तक उपस्थित होगी। कालेजों को एसटी-एससी और ओबीसी के विद्यार्थियों की जानकारी देना होगी। ये निर्देश नियमों में संशोधन के बाद शासन ने दिए हैं। इसके चलते छात्र-छात्राएं नाराज हैं। हर कोई पुराने नियम को दोबारा लागू करने पर जोर दे रहा है। अशासकीय कालेज संचालक संघ के नरेंद्र धाकड़ का कहना है कि इस एमबीए-एमसीए वालेे विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति से जुड़े नियम बदले हैं। इस संबंध में शासन को पत्र लिखकर नियमों में संशोधन करने की गुहार लगाई है। इसके बारे में जनवरी में कोई स्थिति स्पष्ट होने की उम्मीद है।