भोपाल । प्रदेश में 20 नवंबर से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान का उपार्जन प्रारंभ हो गया। इसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो इसके लिए किसान की पहचान बायोमैट्रिक्स से की जाएगी। धान का भुगतान भी आधार से लिंक खाते में होगा ताकि यह सुनिश्चित हो जाए कि जिसने पंजीयन कराया है उसके खाते में ही राशि पहुंचे। उपार्जन के लिए डेढ़ हजार केंद्र बनाए गए हैं। सरकार का अनुमान 46 लाख टन धान के उपार्जन का है।
खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग के अधिकारियों ने बताया कि दो हजार 40 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान का उपार्जन किया जाएगा। आठ लाख किसानों ने समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए पंजीयन कराया है। किसानों को यह सुविधा दी गई है कि वे जब भी उपज विक्रय के लिए लाना चाहेें तारीख तय कर सकते हैं। उपार्जन केंद्र चिन्हित करने का अधिकार भी किसानों को दिया गया है। उपार्जन में किसी तरह की गड़बड़ी न हो इसके लिए आधार नंबर लिए गए हैं। जब भी किसान उपज बेचने के लिए लाएगा उसका सत्यापन किया जाएगा। इसके लिए सभी केंद्रों पर पाइंट आफ सेल्स मशीनें उपलब्ध हैं। इसमें अंगूठा लगाने पर किसान का पूरा ब्योरा आ जाएगा। भुगतान भी आधार लिंक खाते में ही किया जाएगा। कलेक्टरों को निर्देश दिए गए हैं कि सीमावर्ती जिलों में नजर रखें। कहीं भी कोई गड़बड़ी की सूचना प्राप्त होती है तो तत्काल कार्रवाई की जाए। गोदामों का परीक्षण भी कराया जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पहले से धान तो नहीं रखी है। यदि धान रखी है तो उसे रिकार्ड पर लिया जाएगा ताकि समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान के हिसाब में कोई गड़बड़ी न हो।
उपार्जन के साथ-साथ मिलिंग
धान की मिलिंग उपार्जन के साथ-साथ कराई जाएगी ताकि भारतीय खाद्य निगम को समय पर चावल उपलब्ध करा दिया जाए। इसके लिए मिल संचालकों को सूचित किया जा चुका है। धान मिलिंग के लिए उन्हें ही दी जाएगी जिनके पास सार्टेक्स मशीन है। इससे गुणवत्तायुक्त चावल निगम को दिया जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि पिछले साल केंद्र सरकार की जांच में कुछ गोदामों में अमानक चावल पाया गया था। केंद्र सरकार ने इसके 225 करोड़ रुपये का भुगतान भी रोक दिया है।