भोपाल  प्रभु येशु के दुःखभोग और मरण की स्मृति में भोपाल के विभिन्न कैथोलिक चर्चों में शुक्रवार   की दोपहर 3 बजे से ‘क्रूस यात्रा’ निकाली गई।  तपती दोपहरी में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने खुले मैदान में क्रूस यात्रा में भाग लिया। कई चर्चो में येशु के दुःखभोग को दर्शाती प्रतीकात्मक झांकी भी निकाली गई। इस क्रूस के रास्ते में विश्राम स्थान होतें हैं, जिन्हें ईसाई धर्मावलंबी प्रार्थना और दुःखभोग के गीत गाते हुए पार करते हैं। यह वह दिन है जब येशु को क्रूस पर सूली चढ़ाया गया था। उन्होंने क्रूस पर ही अपने प्राण त्यागे थे। मरने से पूर्व उन्होंने अपने दुश्मनों को क्षमा दी थी।

अरेरा कालोनी स्थित अजम्पशन चर्च में महाधर्माध्यक्ष ए.ए.एस. दुरईराज एस.व्ही.डी. व अन्य पुरोहितों के नेतृत्व में लोगों ने बड़ी संख्या में क्रूस यात्रा में भाग लिया। परिसर में क्रूस यात्रा के बाद चर्च के भीतर बाकि की धर्मविधियां पूरी की गई।

अपने उपदेश में उन्होने लोगों को तीन बिंदुओं में येशु  की पीड़ा और मृत्यु के बारे में बताया- येशु के जीवन में क्रूस का महत्व, क्रूस का महिमा  और क्रूस की शक्ति। सभी लोग इस दुनिया में जीने  के लिए पैदा हुए हैं, लेकिन येशु इस दुनिया में क्रूस पर मरने के लिए आए थे। येशु का पूरा जीवन क्रूस की ओर एक सुविचारित, सचेत और सतत् प्रस्थान था। क्रूस पर लटके हुए, अपने मित्रों द्वारा अस्वीकार किए गए और परित्यक्त, शत्रुओं द्वारा उपहासित, येशु एक बहुत ही अकेले और कष्टदायी मृत्यु से मरे। यह मानवता के लिए उनके प्रेम के कारण हुआ । यह उनके  महिमामय प्रेम का सबसे बड़ा आश्चर्य है, आर्चबिशप ने कहा।  

भोपाल आर्चडायसिस के पी.आर.ओ. फादर मारिया स्टीफन ने बताया कि यह ईस्टर सप्ताह ईसाईयों के लिए पवित्र होता है। आज के ही दिन प्रभु येशु ने अपना बलिदान दिया था। इ्र्रसाई विश्वास करते है कि क्रूस में बहुत शक्ति होती है क्योंकि यह लोगों को क्षमा और साहस प्रदान करता हे। पुण्य शुक्रवार के धर्मविधि में तीन चरण होते हैं- बाईबिल पाठ, ईशवचन की घोषणा, क्रूस यात्रा और पवित्र पूजन विधि। येशु को सूली पर चढा़ये जाने और दफनाये जाने के तीन दिन बाद कब्र में से वे जी उठे थे। इसी जी उठने के दिन को ईस्टर अथवा पुनरूत्थान का पर्व मनाया जाता है। शनिवार को रात 10 बजे से चर्चों में विशेष प्रार्थनाये व पास्का जागरण होंगी। रात 12 बजे येशु के पुनरूत्थान पर मोमबत्ती जलाकर खुशी के गीत गाये जायेगे।