भोपाल । बारिश बंद होने और रेत खनन से रोक हटने के बावजूद रेत के दामों में अनाप-शनाप बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। रेत का व्यापार करने वालों का कहना है कि बारिश के बाद कई निर्माण कार्य शुरू होते हैं, जिसके लिए रेत की आवश्यकता श्ुारू होती है, लेकिन भाव सीधे डबल हो जाने के कारण कई काम रुक गए हैं, वहीं आम आदमी भी अपने घर का सपना पूरा नहीं कर पा रहा है।
एनजीटी बारिश में रेत उत्खनन पर रोक लगाता है और बारिश का मौसम समाप्त होने के बाद रेत की आवक शुरू हो जाती है। इस बार अच्छी बारिश होने के कारण भी नर्मदा नदी में रेत की अच्छी आवक हुई है, लेकिन रेत निकालने वाले ठेकेदारों ने इसके दाम में बढ़ोत्तरी कर दी है। रेत व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष महेश शर्मा और सचिव मनीष अजमेरा ने बताया कि सीहोर जिले में नर्मदा नदी से आने वाली रेत का 21 हजार रुपए में आने वाला ट्रक 40 हजार रुपए तक आ रहा है। इसमें रायल्टी और रेत भराई तक शामिल है। एक तरह से ठेकेदार मनमाने दाम वसूल रहे हैं, क्योंकि रेत के दामों पर सरकार का नियंत्रण नहीं है। वहीं देवास जिले से जो रेत आ रही है वहां 19 हजार रुपए के दाम हैं, लेकिन यहां भी सीधे डबल 41 हजार रुपए वसूले जा रहे हैं। हरदा जिले से आने वाली रेत के 19 हजार के बदले 37 हजार रुपए लिए जा रहे हैं। एक तरह से ठेकेदार अधिकारियों की मिलीभगत से मनमानी कर रहे हैं। हालांकि रायल्टी की रसीद कम रुपए की ही दी जा रही है। व्यापारी एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि रेत के भाव डबल होने से कई निर्माण कार्य अब तक शुरू नहीं हो पाए हैं। वहीं छोटे-छोटे मकान बनाने वाले लोग भी महंगी रेत नहीं खरीद पा रहे हैं। इस मामले में मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप कर रेत के दाम निर्धारित करने की मांग व्यापारियों ने की है।