कोतवाली पत्थरबाजी: राजनीति के बहाने अपराधियों का समर्थन
कोतवाली पत्थरबाजी: राजनीति के बहाने अपराधियों का समर्थन
विपक्ष का पत्थरबाजों पर नरम रुख, पुलिस की सख्ती को बताया अन्याय
सत्यनिधि त्रिपाठी (संजू)
छतरपुर। 21 अगस्त को सिटी कोतवाली क्षेत्र में अचानक भड़की पत्थरबाजी ने पूरे शहर को दहशत में डाल दिया। पुलिस पर हुए इस कायराना हमले में कोतवाली टीआई समेत कई पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपियों की पहचान की और साक्ष्यों के आधार पर एफआईआर दर्ज कर मुख्य आरोपी हाजी शहजाद अली के घर पर बुलडोजर चला दिया। प्रशासन के इस सख्त कदम के बाद भी शहर में अमन-चैन बना रहा और निर्दोष नागरिकों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा।
*राजनीति की एंट्री: पत्थरबाजों को बचाने की साजिश*
जैसे ही हालात सामान्य होने लगे, राजनीतिक दलों ने मामले में अपनी एंट्री कर दी। विपक्षी नेताओं ने इस गंभीर घटना को राजनीतिक फायदा उठाने का जरिया बनाते हुए पत्थरबाजों का बचाव शुरू कर दिया। पुलिस की सख्त कार्रवाई को अन्याय बताते हुए, विभिन्न दलों के नेताओं ने मुख्य आरोपी हाजी शहजाद अली के गिराए गए मकान का दौरा किया और उनके परिवार से मुलाकात की।
*सहानुभूति पत्थरबाजों से, घायल पुलिसकर्मियों की अनदेखी*
यह ध्यान देने वाली बात है कि राजनीतिक प्रतिनिधियों ने पत्थरबाजों के परिवारों से तो सहानुभूति जताई, लेकिन पुलिसकर्मियों की स्थिति जानने में कोई रुचि नहीं दिखाई। जब प्रतिनिधि मंडल ने जेल अधीक्षक से मुलाकात कर आरोपियों से मिलने की इच्छा जताई, तो प्रशासन ने बताया कि आरोपियों को अन्य जेलों में शिफ्ट कर दिया गया है, जिससे मुलाकात नहीं हो पाई।
*राजनीतिक फायदे की चाल*
इस पूरे घटनाक्रम में विपक्षी दलों की मंशा स्पष्ट है—वे पत्थरबाजों का समर्थन कर राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि पुलिस और प्रशासन ने स्थिति को गंभीरता से लेते हुए कानून के अनुसार कार्रवाई की है।