भोपाल।  प्रदेश के वन कर्मचारियों के ऊपर पिछले 3 माह में 20 से ज्यादा प्राणघातक हमले वन माफिया कर चुका है लेकिन वन विभाग वन कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। इस कारण वन माफिया के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। वन कर्मचारी मंच ने वन विभाग के पीसीसीएफ आरके गुप्ता को ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि वन कर्मचारियों के सुरक्षा के लिए विभाग कोई ठोस नीति बनाए। उनकी सुरक्षा के लिए तत्काल विभागीय स्तर पर सार्थक कदम उठाए जाएं। वन विभाग के मुखिया ने आश्वासन दिया है कि वन विभाग ने वन माफिया के विरुद्ध शिवपुरी में भी सख्त कार्रवाई की है। शिवपुरी सतना में वन माफिया को तत्काल गिरफ्तार करवाया गया है। वन भूमि पर उनके द्वारा बनाए गए एक दर्जन मकानों को बुलडोजर से ध्वस्त किया गया है। आगे भी वन माफिया के विरुद्ध सख्त कार्रवाई वन विभाग करेगा। वह वन कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए सार्थक पहल करेगा।
मध्य प्रदेश वन कर्मचारी मंच के प्रांत अध्यक्ष अशोक पांडे ने बताया कि पिछले 3 माह में विदिशा, रायसेन, गुना, शिवपुरी, मुरैना, भिंड, ग्वालियर, नरसिंहपुर, बालाघाट, बैतूल, छिंदवाड़ा, सागर, दमोह वन मंडलों में 22 वन कर्मचारियों के ऊपर वन माफिया प्राणघातक हमले कर चुका है। लेकिन वन विभाग ने वन कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए कोई सार्थक कदम नहीं उठाए हैं और ना ही कोई ठोस वन कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा नीति बनाई है। वन कर्मचारियों के ऊपर हमले 16 अगस्त 2022 को प्रदेश के 19000 कार्यपालिक वन कर्मचारियों द्वारा अपनी 3157 बंदूकें तथा 296 रिवाल्वर वन विभाग के माल खाने में लटेरी कांड के विरोध में जमा कराने के बाद हुई है क्योंकि वन कर्मचारी निहत्था वनों एवं वन्य प्राणियों वन संपदा की सुरक्षा कर रहा है। अपनी जान की बाजी  लगा रहा है। फिर भी वन विभाग के अधिकारी मौन साधे हुए हैं। इससे वन कर्मचारियों में असंतोष का वातावरण निर्मित हो गया है और वन कर्मचारी ने दीपावली के बाद 11 सूत्री मांगों के समर्थन में  वन मुख्यालय के सामने धरना देने का निर्णय लिया है। वन कर्मचारियों ने एक साल में 52205 वनअपराध पकड़े हैं, जिसमें 40000 अवैध वन कटाई के 1397 अवैध वन संपदा परिवहन के 1596 वनों में अतिक्रमण के और 722 वन संपदा के अवैध उत्खनन के हैं। वन कर्मचारी मंच ने वन विभाग के पीसीसीएफ से मांग की है कि वन माफिया के ऊपर रासुका लगाई जाए। उनके घरों को बुलडोजर से ध्वस्त किया जाए वन माफिया द्वारा अतिक्रमण की गई। वन भूमि को बलपूर्वक मुक्त कराया जाए, घायल वन कर्मचारियों को 5 लाख की आर्थिक सहायता और नि:शुल्क उपचार उपलब्ध कराया जाए, बंदूक का लाइसेंस और चलाने का अधिकार दिया जाए तभी बंद कर्मचारी निष्ठा से वनों की रक्षा कर पाएगा।