पहले साइबर अपराधी ज्यादातर आम लोगों को अपना निशाना बनाते थे, लेकिन अब साइबर अपराधी पुलिस से लेकर बैंक मैनेजर तक को ठग रहे हैं. नया मामला उत्तर प्रदेश के लखनऊ से सामने आया है, जहां एक महिला प्रोफेसर से ठगों ने 20-40 लाख रुपये नहीं बल्कि 78 लाख रुपये ठग लिए. ठगों ने महिला प्रोफेसर को अपने जाल में फंसा लिया था. ठगों ने पहले व्हाट्सएप पर महिला प्रोफेसर को वीडियो कॉल की और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने का आरोप लगाया. इसके बाद जांच के नाम पर अलग-अलग 5 बैंक अकाउंट्स में पैसे जमा कराए. महिला प्रोफेसर को ठगों ने पूरे 22 दिन तक डिजिटल अरेस्ट करके रखा. उन्होंने महिला को अपने आप को CBI अफसर बताया हुआ था और जाल में फंसाया हुआ था.

22 दिन तक रही डिजिटल अरेस्ट

महिला प्रोफेसर लखनऊ के इंदिरा नगर के लक्ष्मीपुर इलाके की रहने वाली हैं, जो एक मार्च से लेकर 22 मार्च तक डिजिटल अरेस्ट रहीं. जालसाज ने खुद को CBI अधिकारी बताकर दिल्ली के बैंक ऑफ बडौदा वाले खाते से बड़े पैमाने पर हुई लेनदेन की कहानी गढ़ी गई. ठगों ने महिला प्रोफेसर पर मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने का आरोप लगाकर उन्हें फंसाया हुआ था.

साइबर क्राइम थाने में FIR दर्ज

ठगों ने महिला से बैंक अकाउंट की डिटेल्स और आधार कार्ड भी ले लिए थे, जिसके जरिए उन जालसाजों ने अलग-अलग अकाउंट्स में लाखों रुपये अलग-अलग समय पर ट्रांसफर कराए. ठगों ने चेकिंग के नाम पर महिला प्रोफेसर से 78 लाख रुपये ट्रांसफर कराए. 22 दिन बाद जब महिला को शक हुआ, तब जाकर उन्होंने साइबर क्राइम थाने में FIR दर्ज कराई. पुलिस भी मामले की जांच में जुट गई है और मामले की छानबीन कर रही हैं.

अक्सर सामने आते हैं मामले

ठगी के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं. इस तरह से ठग भोले भाले लोगों को निशाना बताने हैं. हालांकि पुलिस और सीबीआई की ओर से साफतौर पर कहा गया है. पुलिस कभी भी ऑनलाइन पूछताछ नहीं करती. ठगी से बचने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जनता को सावधान रहने के लिए कहा था. उन्होंने कहा था कि कोई भी जांच एजेंसी कभी भी तरह की जांच के लिए फोन या वीडियो कॉल पर संपर्क नहीं करती है.