22 करोड़ की धोखाधड़ी करने वाले पति-पत्नी को दिल्ली पुलिस ने पकड़ा
नई दिल्ली । ईओडब्ल्यू ने गोवा से एक ऐसे पति -पत्नी को गिफ्तार किया है, जिसने गैर बैकिंग कंपनी से फर्जी दस्तावेज के आधार पर ऋण निकालकर करोड़ों का चूना लगा दिया। इनको पकड़ने के लिए टीम पिछले दस दिनों से लगातार प्रयासरत थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) से रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में एक दंपति को गिरफ्तार किया है, जो पिछले चार साल से फरार था। एक अधिकारी ने बताया कि जाली संपत्ति के कागजात के आधार पर 22 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई। अधिकारियों ने कहा कि पति और पत्नी, जिनकी पहचान विकास शांडिल्य उर्फ विकास शर्मा और एम. शर्मा के रूप में हुई है, को उत्तरी गोवा के विभिन्न कोनों में 10 दिनों से अधिक के लगातार प्रयासों के बाद उनके आवास से गिरफ्तार किया गया। यह दंपति गोवा में एक रेस्टोरेंट चला रहा था। पुलिस अधिकारी ने बताया कि हाल ही में एक वेब सीरीज कोहरा से प्रेरित होकर पुलिस टीम ने पति-पत्नी द्वारा गोवा में छुपे रहने के दौरान गुप्त रूप से चलाए जा रहे खाद्य वितरण व्यवसाय की पहचान करने के लिए स्थानीय भोजनालयों से ऑनलाइन भोजन का ऑर्डर दिया। यह गिरफ्तारी एक प्रतिष्ठित एनबीएफसी की शिकायत पर मामला दर्ज होने के बाद हुई है।
शिकायत में बताया कि डीएसए अमृत मान सहित सेल्स मैनेजर नीलांजन मजूमदार और रिपोर्टिंग मैनेजर नितेश कुमार शिकायतकर्ता-कंपनी से संपत्ति पर ऋण लेना चाहते थे ।एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि मान, जो पहले एक बिक्री एजेंसी का प्रबंधन करता था, ने संपत्ति-आधारित ऋण चाहने वाले व्यवसायों से सौदे सुरक्षित करने के लिए शिकायतकर्ता कंपनी के बिक्री प्रबंधक मजूमदार के साथ सहयोग किया। आरोपियों में से एक एम शर्मा, जो मेसर्स सेवा अपैरल्स नामक कंपनी से जुड़ा है, ने 5 करोड़ रुपये के संपत्ति ऋण के लिए आवेदन किया था। 31 अगस्त, 2017 को 4.11 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई थी। इस मामले में एमएस सेवा अपैरल्स को उधारकर्ता बनाया, जबकि गौरव शर्मा, विकास की मां और पत्नी को सह-उधारकर्ता बनाया गया। ऋण दिल्ली के रूप नगर में एक संपत्ति के बदले गया था। इसके बाद ऋण चुकौती में लगातार चूक हुई। जांच करने पर पता चला कि विकास की मां द्वारा शिकायतकर्ता कंपनी को सौंपे गए संपत्ति के दस्तावेज फर्जी थे।
जानकारी में आया कि उसने वह संपत्ति किसी अन्य खरीदार को भी बेच दी थी। मैसर्स सेवा अपैरल्स के खातों की आगे की जांच से पता चला कि ऋण प्राप्त करने के बाद, कंपनी अमृत मान, अंबिका मान और नीलांजन मजूमदार के साथ तीन अन्य फर्मों के साथ लेनदेन में लगी हुई थी। इन व्यक्तियों की पहचान सह-साजिशकर्ता के रूप में की गई थी। ऋण आवेदन प्रक्रिया के दौरान विकास ने शिकायतकर्ता कंपनी को एक हलफनामा दिया था, जिसमें ऋण प्राप्त करने के लिए अपनी मां और कथित भाई गौरव के लिए अपनी सहमति का संकेत दिया था।हालांकि, जांच से पता चला कि गौरव वास्तव में उसका भाई नहीं था। बाद में विकास और उसकी पत्नी विभिन्न पहचानों के साथ अलग-अलग शहरों में घूमकर अधिकारियों से बच रहे थे। आखिरकार उनकी गोवा में छापेमारी के बाद गिरफ्तारी कर ली गई।