लाड़ली बहनों ने कमजोर प्रत्याशियों को भी बना दिया विधायक

छतरपुर। छतरपुर जिले में लाड़ली बहनों ने भाजपा के प्रत्याशियों को जमकर आशीर्वाद दिया है। पूरे प्रदेश में सामने आए ट्रेंड की तरह इस जिले में भी भाजपा को हर सीट पर अपेक्षा से अधिक वोट मिले हैं। 2018 में हुई करारी हार का बदला लेते हुए इस बार भाजपा ने कांग्रेस से सभी सीटेंं वापस छीन ली हैं। सिर्फ बड़ामलहरा विधानसभा में कांग्रेस की प्रत्याशी रामसिया भारती चुनाव जीत सकी हैं बाकि सभी सीटों पर भाजपा के प्रत्याशियों ने मैदान मार लिया है।

छतरपुर विधानसभा सीट पर जहां ललिता यादव ने कांग्रेस प्रत्याशी और विधायक आलोक चतुर्वेदी को शिकस्त दी तो वहीं महाराजपुर में विधायक नीरज दीक्षित को युवा नेता कामाख्या प्रताप सिंह ने पटखनी दे दी। कांग्रेस के जिताऊ विधायक नातीराजा भी इस आंधी से नहीं बच पाए। राजनगर में भी कांग्रेस की करारी शिकस्त हुई है यहां भाजपा प्रत्याशी अरविंद पटैरिया ने चुनाव जीत लिया है। बिजावर सीट पर बबलू शुक्ला ने जिले की सबसे बड़ी जीत दर्ज की है तो वहीं चंदला सीट पर कमजोर बताए जा रहे दिलीप अहिरवार ने बड़ा उलटफेर करते हुए 16 हजार वोट से चुनाव जीत लिया। कुल मिलाकर इस आंधी में भाजपा के कमजोर भी चुनाव जीत गए और कांग्रेस के मजबूत बताए जा रहे दिग्गज भी धराशायी हो गए। इस जीत में लाड़ली बहनों का सर्वाधिक असर रहा जिनकी बदौलत भाजपा को यह बड़ी जीत मिली है।

छतरपुर सीट पर फिर खिला कमल

छतरपुर विधानसभा सीट पर एक बार फिर कमल खिला है। 2018 में इस सीट पर कांग्रेस के आलोक चतुर्वेदी ने भाजपा की प्रत्याशी अर्चना सिंह को चुनाव हराया था लेकिन इस बार भाजपा ने अपनी पुरानी नेता और सीट की परंपरागत दावेदार ललिता यादव को मैदान में उतारकर बाजी पलट दी। आलोक चतुर्वेदी इस सीट पर काफी मजबूत कहे जा रहे थे। पांच वर्षों तक उनके द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों का भी कोई फायदा उन्हें नहीं मिला। जनता ने यहां भाजपा को अपना आशीर्वाद दिया है। कांग्रेस के आलोक चतुर्वेदी को इस सीट पर जहां 70720 वोट मिले तो वहीं भाजपा को 77687 वोट प्राप्त हुए हैं। ललिता यादव ने इस मुकाबले को 6967 वोट से अपने नाम कर लिया। कांग्रेस की हार में डीलमणि सिंह बब्बूराजा भी एक किरदार बने जिन्होंने कांग्रेस से बगावत कर बसपा से चुनाव लड़ा है और उन्हें इस सीट पर 14184 वोट मिले हैं। इस सीट पर सपा प्रत्याशी बैनी चंसौरिया को 894 और आप के प्रत्याशी भागीरथ पटेल को 2321 वोट मिले हैं। चुनाव जीतने के बाद ललिता यादव ने कहा कि निश्चित रूप से यहां कई चुनौतियां थीं मैं कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा के ही अपने भितरघातियों से जूझ रही थी फिर भी क्षेत्र की जनता ने मुझे अपना आशीर्वाद दिया है और लाड़ली बहनों ने राह के सारे कांटे हटा दिए।

चंदला में दिलीप ने किया बड़ा उलटफेर

छतरपुर जिले की रिजर्व सीट चंदला में भाजपा प्रत्याशी दिलीप अहिरवार ने सारे अनुमानों को पलटते हुए शानदार जीत दर्ज की है। उनकी जीत ने सभी को चौंका दिया। दिलीप अहिरवार को इस सीट पर बाहरी और कमजोर प्रत्याशी माना जा रहा था। ऐसा कहा जा रहा था कि शायद वे तीसरे नंबर पर आएंगे लेकिन दिलीप अहिरवार ने यह मुकाबला जिस तरह जीता है उससे पता लगता है कि भाजपा को लाड़ली बहनों का कितना जबर्दस्त वोट मिला है। दिलीप अहिरवार को इस सीट पर 69668 वोट मिले हैं जबकि कांग्रेस के हरप्रसाद अनुरागी को 54177 वोट मिले हैं। दिलीप ने यह मुकाबला 15491 वोट से जीत लिया। इस सीट पर सपा प्रत्याशी पुष्पेन्द्र अहिरवार को 24977 और बसपा प्रत्याशी डीडी अहिरवार को 7124 वोट मिले हैं। दिलीप अहिरवार ने सुबह मतगणना स्थल पर ही दावा कर दिया था कि इस सीट पर चौंकाने वाला परिणाम आएगा और उनकी बात सही साबित हुई।

महाराजपुर में कामाख्या के सिर पर जीत का ताज

महाराजपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी कामाख्या प्रताप सिंह टीकाराजा ने जबर्दस्त जीत दर्ज की है। जब इस सीट पर कामाख्या प्रताप सिंह को भाजपा ने प्रत्याशी घोषित किया था तब उन्हें कमजोर प्रत्याशी आंका जा रहा था क्योंकि भाजपा के ही कई नेताओं ने उनकी टिकिट का विरोध शुरू कर दिया था। कामाख्या प्रताप सिंह इस सीट पर 26617 वोट से चुनाव जीतने में कामयाब रहे हैं। उन्होंने क्षेत्रीय विधायक और कांग्रेस प्रत्याशी नीरज दीक्षित को शिकस्त दी है। कामाख्या प्रताप सिंह को जहां कुल 76969 वोट मिले तो वहीं नीरज दीक्षित को कुल 50352 वोट ही मिले हैं। इस सीट पर कांग्रेस से बगावत करने वाले सपा प्रत्याशी अजय दौलत तिवारी को 11828 तो वहीं बसपा प्रत्याशी महेश कुशवाहा को 19812 वोट मिले हैं। कामाख्या प्रताप सिंह एक युवा चेहरे के रूप में क्षेत्र में उतरे थे जिसे जनता ने पसंद किया और लाड़ली बहनों के वोट का असर उनकी नैय्या को पार कर गया।

बिजावर में बबलू शुक्ला की सबसे बड़ी जीत

छतरपुर जिले की सबसे बड़ी जीत एक बार फिर बबलू शुक्ला के नाम रही। 2018 में भी वे सबसे ज्यादा वोट से जीतने वाले नेता बने थे। इस बार भी उन्होंने सर्वाधिक वोट से चुनाव जीतने में सफलता हासिल की है। उन्होंने इस सीट पर 88223 वोट प्राप्त किए तो वहीं कांग्रेस प्रत्याशी चरण सिंह 55761 वोट ही हासिल कर सके। इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला था जिसमें बबलू शुक्ला ने 32462 वोट से जीत दर्ज की है। चुनाव जीतने के बाद बबलू शुक्ला ने कहा कि क्षेत्र की जनता ने एक बार फिर उन्हें अपना बेटा और भाई मानकर न सिर्फ चुनाव जिताया है बल्कि क्षेत्र के उन कथित वोट ठेकेदारों को भी जवाब दिया है जो माताओं, बहिनों के विरूद्ध आपत्तिजनक बयानबाजी करने वाले चरण सिंह का साथ दे रहे थे। बबलू शुक्ला अपने विरोधी कांग्रेसी नेताओं राजेश शर्मा, राजेश सिंह कुर्रा, और केशु राजा के गढ़ में भी चुनाव जीतने में कामयाब रहे।

दिग्गज नातीराजा भी हारे, अरविंद को मिला जनता का साथ

राजनगर विधानसभा सीट भाजपा के लिए सबसे कठिन सीट मानी जाती थी क्योंकि इस सीट पर तीन बार से कांग्रेस के विधायक नातीराजा चुनाव जीत रहे थे। एक बार फिर इस सीट पर मुकाबला कांटे का था लेकिन इस बार कांग्रेस के दिग्गज विधायक नातीराजा भाजपा के प्रत्याशी अरविंद पटैरिया से चुनाव हार गए। इस सीट पर अरविंद पटैरिया को जहां 69698 वोट मिले तो वहीं कांग्रेस के नातीराजा को 63831 वोट मिले हैं। इस सीट पर तीसरे प्रत्याशी के तौर पर बसपा के डॉ. घासीराम पटेल के वोट का असर भी नातीराजा की हार पर ही पड़ा। उन्हें यहां से 32195 वोट मिले तो वहीं सपा प्रत्याशी ब्रजगोपाल पटेल को 6353 वोट मिले। इस सीट पर मतदान दिवस के दिन कांग्रेस कार्यकर्ता सलमान की मौत हुई थी जिसके बाद कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनता दिख रहा था लेकिन इसका असर परिणामों पर नहीं पड़ा।

सारे नेता हारे, रामसिया ने लाज बचाई

छतरपुर में कांग्रेस के सभी प्रत्याशी चुनाव हार गए। भाजपा की इस आंधी में सिर्फ बड़ामलहरा की कांग्रेस प्रत्याशी रामसिया भारती ही चुनाव जीत सकीं। उन्होंने जिले की 6 में से 1 सीट पर चुनाव जीतकर कांग्रेस की रही-सही लाज बचाई है। इस सीट पर उन्होंने मंत्री दर्जा प्राप्त क्षेत्रीय विधायक प्रद्युम्न सिंह को चुनाव हराया है। उन्हें इस सीट पर 89053 वोट मिले तो वहीं प्रद्युम्र सिंह को इस सीट पर 67521 वोट मिले हैं। रामसिया ने यहां 21532 वोट से जीत दर्ज की है। चुनाव जीतने के बाद उन्होंने क्षेत्र की जनता का आभार व्यक्त किया है। रामसिया की इस जीत में प्रद्युम्न सिंह के विरूद्ध क्षेत्र में मौजूद एंटी इनकमबेंसी काम आयी जिसने भाजपा की इस लहर में भी उन्हें जीतने नहीं दिया।