गुजरात निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर भाजपा-कांग्रेस सहमत....
अहमदाबाद। गुजरात में अन्य पिछडा वर्ग के वोट बैंक को मजबूत करने के लिए राज्य सरकार स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण लागू कर सकती है। आगामी मानसून सत्र में सरकार इस संबंध में एक विधेयक लाने वाली है जिसमें पंचायत, जिला पंचायत, नगरपालिका, महानगर पालिका में ओबीसी की सीटें आरक्षित करने का प्रावधान किये जाएंगे, इस मुद्दे पर कांग्रेस भी भाजपा का समर्थन करेगी।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की अध्यक्षता में आयोजित एक बैठक में न्यायाधीश झवेरी आयोग की सिफारिशों पर चर्चा की गई। सरकार ने राज्य में अन्य पिछडा वर्ग की राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक स्थिति के अवलोकन के लिए झवेरी आयोग का गठन किया था। आयोग राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप चुका है, ओबीसी समुदाय की ओर से लंबे समय से राज्य में स्थानीय निकायों में सीटें आरक्षित किये जाने की मांग की जाती रही है।
ओबीसी वर्ग में हाल करीब 146 जातियों का समावेश है। जनसंख्या के हिसाब से प्रदेश में इनकी आबादी 52 प्रतिशत तक है। गाहे बगाहे भाजपा ओबीसी को आरक्षण का मुद्दा उठाती रही है, अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो राज्य की 14655 ग्राम पंचायत, 218 तहसील व 33 जिला पंचायत, 158 नगर पालिका एवं 8 महानगर पालिका में आगामी मानसून सत्र से ओबीसी सीटों की संख्या तय कर दी जाएगी।
दीपावली के बाद राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव होने वाले हैं, इस चुनाव में भाजपा ओबीसी आरक्षण का लिटमस टेस्ट करना चाहती है, चूंकि ओबीसी के बाद आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग भी राजनीतिक आरक्षण का मुद्दा उठा सकता है। राज्य में सामान्य वर्ग ब्राम्हण, बनिया, क्षत्रिय एवं पाटीदार भाजपा का कट्टर समर्थक है इसलिए भाजपा इस वर्ग को कतई नाराज नहीं करना चाहती है।
भाजपा ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष मयंक कुमार नायक का कहना है कि मोर्चा की ओर से प्रदेश भाजपा व सरकार से स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी की जनसंख्या के अनुसार आरक्षण की मांग की गई है, ओबीसी को करीब 27 फीसदी आरक्षण दिया जाए। उधर कांग्रेस ओबीसी विभाग के अध्यक्ष घनश्याम गढवी का कहना है कि पहले 10 प्रतिशत आरक्षण था लेकिन उच्चतम न्यायालय की ओर से ओबीसी आरक्षण पर समीक्षा के आदेश के बाद यह समाप्त कर दिया गया, कांग्रेस ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण की मांग की है।